" मतलब की दुनिया "
मतलब की है दुनिया यारो
मतलब की है दुनिया ....
ये न किसी के मीत हैं
न इनकी किसी से प्रीत है ,
रिश्ते -नाते अपना -पराया
सब झूठी जग की रीत है ,
अपना न बनेगा कोई यहाँ
चाहे इन पे जान भी वारो ,
मतलब की है दुनिया यारो .................................
अपने मतलब के लिए
प्रेम भी दर्शाते हैं लोग ,
अपने मतलब के लिए
पत्थर को भी लगाते हैं भोग ,
अपने मतलब के लिए
फूल भी बरसाते हैं लोग ,
मतलब निकल जाने पर
पत्थर भी बरसाते हैं लोग ,
बिना मतलब न सुनेगा कोई
मतलब की है दुनिया यारो
मतलब की है दुनिया ....
ये न किसी के मीत हैं
न इनकी किसी से प्रीत है ,
रिश्ते -नाते अपना -पराया
सब झूठी जग की रीत है ,
अपना न बनेगा कोई यहाँ
चाहे इन पे जान भी वारो ,
मतलब की है दुनिया यारो .................................
प्रेम भी दर्शाते हैं लोग ,
अपने मतलब के लिए
पत्थर को भी लगाते हैं भोग ,
अपने मतलब के लिए
फूल भी बरसाते हैं लोग ,
मतलब निकल जाने पर
पत्थर भी बरसाते हैं लोग ,
बिना मतलब न सुनेगा कोई
चाहे चीख- चीख कर पुकारो ,
मतलब की है दुनिया यारो .................................
कल 27/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
very very thanx Mathur ji link my post. dhanyavad............
हटाएंसुंदर रचना............
जवाब देंहटाएंबधाई आपको.
अनु
बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंबधाई आपको....
अनु
Honsla badhane ke liye Bahut bahut dhanyavad ji............................................
जवाब देंहटाएंसच बिना मतलब कुछ नहीं होता ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंKavita ji aur Sangita ji , aap dono ka bahut bahut dhanyavad....................
जवाब देंहटाएंbehtreen....
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