[ अनजाना दिल ]
ऐ मेरे अनजाने दिल ,
इतना क्यों तू है उदास ,
सही तुने कितनी पीड़ा ,
हर पथ पे जखम खाता रहा,
खवाहिशें पाली और मिटाई ,
अरमां खून से दीपक जलाता रहा, पिया तुने विष ग़मों का ,
फिर भी बुझी न तेरी प्यास ,
ऐ मेरे अनजाने दिल ....................................
मरहम न करेगा कोई ,
हर चेहरा जखम नया दे जायेगा,
पत्थर दिलों की है ये दुनिया ,
मत टकरा, नहीं तो मात खायेगा,
न ही उमंगें न ही तरंगे ,
चलती फिरती तेरी लाश,
ऐ मेरे अनजाने दिल ........................
मृग - मरीचिका मैदान है जहाँ ,
असलियत में न पानी है ,
सर्वस्व जान कर भी भटके,
मासूम तेरी नादानी है ,
कर ले किनारा जिन्दगी से ,
छोड़ दे जीने की आस ,
ऐ मेरे अनजाने दिल ...................................
मृग - मरीचिका मैदान है जहाँ ,
जवाब देंहटाएंअसलियत में न पानी है ,
सर्वस्व जान कर भी भटके,
मासूम तेरी नादानी है ,............
जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।