" चाहतों के मेले में "
चाहतों के मेले में ,
" कायत" क्यों अकेले में ,
बढ़ता रह जिन्दगी के सफ़र में ,
दुःख तकलीफों से न घबराना,
पिए जा विष ग़मों का ,
पर नैनों से न नीर टपकाना ,
मत तलाश साथ यहाँ पे ,
बना आशियाँ अम्बर अलबेले में ,
चाहतों के मेले में ..............................................
जालिम दुनिया न मीत किसी की ,
भूल के भी न दिल लगाना ,
वज्र रूप बना ह्रदय को ,
छोड़ दिलासों से मन बहलाना ,
चिंता निराशा त्याग दे ,
क्यों उलझता है झमेले में ,
चाहतों के मेले में ..................................................
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