[ चाहत के सहारे ]
मंजिल को तलाशता ,
दुर्गम राहों को लांघता,
जिन्दगी में घुले
ज़हर को ,
पानी की तरह
पीए जा रहा हूँ,
न पूछे मुझसे कोई,
कि मैं
" इक चाहत "
लेकर जिए जा रहा हूँ ,
यूँ तो सभी
चाहतें लेकर ही जीते होंगे,
पर मैं ,
जो हासिल न कर सका,
उसी की चाह में
जिए जा रहा हूँ ,
काश कोई
वक़त आये !
जो मेरी मायूसियों को
ख़तम करके,
मुझे जीने की ,
नयी राह दे- दे,
इस दुनिया में ,
रहने का दिल नहीं रहा ,
बसने के लिए ,
अपने दिल में ,
ज़गह दे - दे ,
अपने दिल में ज़गह दे -दे .
मंजिल को तलाशता ,
दुर्गम राहों को लांघता,
जिन्दगी में घुले
ज़हर को ,
पानी की तरह
पीए जा रहा हूँ,
न पूछे मुझसे कोई,
कि मैं
" इक चाहत "
लेकर जिए जा रहा हूँ ,
यूँ तो सभी
चाहतें लेकर ही जीते होंगे,
पर मैं ,
जो हासिल न कर सका,
उसी की चाह में
जिए जा रहा हूँ ,
काश कोई
वक़त आये !
जो मेरी मायूसियों को
ख़तम करके,
मुझे जीने की ,
नयी राह दे- दे,
इस दुनिया में ,
रहने का दिल नहीं रहा ,
बसने के लिए ,
अपने दिल में ,
ज़गह दे - दे ,
अपने दिल में ज़गह दे -दे .
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