" जाने वाले "
चल देते हैं रुलाकर वो तो
पल भर के लिए ठहरे होते हैं ,
प्रेम बंधन भी बाँध नहीं पाता
टूट जाते हैं साथ निभाने के वादे
एक पल में ही बदल जाते हैं वो
नहीं समझ पाता कोई उनके इरादे
किसी दवा- मरहम से भर नहीं पाते
दिल पे लगे ज़ख्म इतने गहरे होते हैं |
चल देते हैं ...........................................
पहले कभी मिले ही न हो जैसे
वो इस कदर भूल जाते हैं
चुभने लगे हैं ये सांस भी अब तो
जैसे सांस नहीं दिल में शूल आते हैं
मत आवाज़ लगा ऐ " कायत "
उनके दिल तो अब बहरे होते हैं |
चल देते हैं................................................
< कृष्ण कायत >
मार्मिक ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर,सटीक aur सामयिक रचना....!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंपहले कभी मिले ही न हो जैसे
जवाब देंहटाएंवो इस कदर भूल जाते हैं
चुभने लगे हैं ये सांस भी अब तो
जैसे सांस नहीं दिल में शूल आते हैं
बहुत सुन्दर भाव संयोजन
thanx to all ..............
जवाब देंहटाएं