" नादान "

 " नादान "

वो जानता है कि हम
उसके बिना रह नहीं सकते
इसीलिए इतना इतराता है वो.......
उसकी गलतियों पर
खफा हों भी तो कैसे
मुझे मनाने की बजाये
खुद रूठ जाता है वो ...........
मेरी जिंदगी बन गया
है प्यार उसका
तभी तो बार बार
मुझे सताता है वो ............
" कायत " बस गया
जो दिल की गहराइयों में
है जान से भी प्यारा
फिर क्यों नादान
इस दिल को जलाता है वो ...........

कृष्ण कायत ( पुरानी यादों से ..........)
http://krishan-kayat.blogspot.com/

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